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आने वाले भविष्य को सवारने के लिए हमें मज़बूत इरादों लगन और मेहनत की ज़रुरत होती हैं, और यह बाते सिर्फ किताबी नहीं हैं बल्कि समय समय पर देश के युवा और बच्चे इन बातो को साबित करते आये हैं . आजकल बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट आ रहे हैं , ऐसे में एक नाम जिसने बनाया हैं कीर्तिमान . 16 वर्षीय अजय कुमार ने दसवीं की परीक्षा में अपने पैरो से लिखा और 71 % प्राप्त किये .
अजय ने अपने नाम के अनुरूप ही खुद को सिद्ध किया और यह साबित कर दिया की किस्मत तो उनकी भी होती हैं जिनके हाथ नहीं हुआ करते. अजय उत्तर प्रदेश के मैनपुरी शहर से हैं अजय के पिता दया राम कुमार को ऐसा लगता था की उनका बेटा जीवन कैसे जियेगा , पर हाथो के ना होने से अजय अपने पैरों से लिखते और कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं.
कोई भी बाधा उन्हें उनके इंजीनियर बनने के सपने से रोक नहीं पायेगी , अजय ने सपनों की उड़ान भरी , अपने हौसले से असम्भव को संभव कर दिखाया , यह शब्द कभी कभी बहुत बड़े लगते हैं पर वास्तव में जीवन में असली योद्धा तो यह लोग हैं जो हार नहीं मानते , जिन्होने रुकना या थकना कभी सीखा ही नहीं .
अकसर आप और हम सबने सुना हैं की दौड़ में वो नहीं हारता जो गिर जाताहैं बल्कि वो हारता हैं जो गिरकर नहीं उठता , आजकल देश में कुछ ऐसे विद्यार्थी भी हैं जिन्हे देश में सबसे सस्ती शिक्षा दी जा रही हैं, जो जनता के पैसो पर पढते हैं. और नारे देश के विरुद्ध लगाते हैं , जैसे हमारे “कन्हैया कुमार” वास्तव में “कन्हैया आपको अजय जैसे विद्यार्थियों से सीखना चाहिए . न की अपना समय गन्दी राजनीति में बर्बाद करना चाहिए .
अजय आज हम भारतीयों के लिए मिसाल हैं, यह खबर हमें सकारत्मकता के साथ जागरूक और आत्म बल की भी अनुभूति कराती हैं, कई बार सुनती हु की बोर्ड की परीक्षा के बाद बच्चे ने आत्महत्या कर ली, बहुत बुरा लगता ऐसा सुनकर पर अजय का जीवन एक मिसाल हैं , क्योकि काटे तो गुलाब में होते हैं, कमल भी कीचड़ में ही खिलता हैं.
उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए, ज़रूरत हैं तो आत्मबल की और होश से काम लेने की. देश का युवा ही देश का भविष्य हैं , अपनी सकारात्मकता को कभी खोये ना जब भी उम्मीद का दामन छूटे तो अपनों को याद करे , जीवन में प्रेरणा लेते रहे. आगे बढ़ते रहे, क्योकि जीवन नाम हैं तपिश का जीवन मान हैं संघर्ष का जिसमे मानव की जीत निश्चित हैं.
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