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ज्ञान का सही रूप

deepti saxena
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ज्ञान मानव जीवन की प्रथम सीढ़ी है, कहते है की भगवान की सबसे सुन्दर कृति मानव है, जिसे भगवान ने अपने आशीर्वाद से नवाज़ा है. हर इंसान में अपनी काबिलियत होती है एक चाहत होती है आगे बढ़ने की अपने सपनो को पूरा करने की, और उसकी परख सिर्फ और सिर्फ ज्ञान के द्वारा ही संभव है , ज्ञान के रूप अनेक है , कभी माँ सरस्वती की वीणा में संगीत में तो अभी कॉपी किताबो में ,हमारे देश में डांस की कई शैलियों के माध्यम से भी जनसाधारण को शिक्षित किया जाता है, पहले लोग कबीलो में रहा करते थे . कला का प्रदर्शन नाच गाने के द्वारा किया करते थे, पर आज शायद वक़त का तकाज़ा कुछ और ही है? आज आपको आता किया इससे ज्यादा इस बात पर ध्यान दिया जाता की डिग्री कौन कौन सी है, मुझे याद है की एक बार ” मोदी ” जी ने खुद ही कहा था की जीवन में महत्वपूर्ण बात यही है की आपको ” आता क्या है? उन्होंने स्किल डेवलपमेंट की बात कही थी, जो वास्तव आज का आधार है, मैंने न्यूज़ में देखा की कैसे टीवी चैनल पर १०, १२ के बोर्ड के पेपर में नक़ल करके बच्चे पास होना चाहते थे. आज अगर भाग दौड़ में हम ” सिख्ना” ही भूल गए है , तो शायद यह सबसे बड़ी भूल है, क्योकि आज के जीवन में कला या आदमी का काम उसके लिए खुशिया नहीं बल्कि ” स्ट्रेस” लेकर आता है, ज़माने को साबित करना है नाम बनाना है , मुकाम हासिल करना है, शायद इसलिए हम सबने अपने अंदर की मासूमियत को कही खो दिया है, पहले व्यक्ति का ज्ञान उसकी पहचान था पर आज उस ज्ञान से मिलने वाली नोटों की गड्डियां उसकी पहचान है, आज हर कोई एक सवाल पूछता है की आपके बच्चे क्या पढते है ? कौन से कॉलेज में पढते है अगर जबाब में आईआईएम , और आईआईटी हो तो आखो की चमक बढ़ जाती है की अब तो सब सेट है , और कही अगर बेटा क्रिकेट में हो तो शायद आने वाले समय के राजा आप ही है, क्या ज्ञान यह है? पैसा कमाना सिर्फ और सिर्फ ज़रूरत या ज़िंदगी को जीना हो सकता है , पर शिक्षा का सही रूप या सफलता आगे जाकर आपके बड़े घर या मेह्गी गाड़ियों से हो यह सही नहीं. ज्ञान इंसान को ख़ुशी देता है, उसे एक समज़दार और देश का काबिल नागरिक बनता है, सही गलत का फरक बताता है, पर आज हम सही गलत तो दूर सिर्फ प्रॉफिट मार्जिन देखते है.
हो सके तो बड़ी बड़ी डिग्री लेने से पहले बड़े इंसान बने दिल से आत्मा से, बचपन में शायद प्यार, तपस्या, मेहनत यह सभी गुण हमें सिखाये जाते है, पर शायद बड़े होते होते हम यह सब कुछ भूल जाते है. तो क्या फायदा स्कूल जाने का जब हम ज़िंदगी को ख़ुशी से जीना ही नहीं सीख पाये? हो सके तो भाग दौड़ से समय निकाल कर अपने बारे में देश के बारे में आने वाले समय के लिए कुछ कलात्मक सोचिये और ज्ञान की ताकत को पहचानिये,

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