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2014

deepti saxena
deepti saxena
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समय अपनी धुरी पे सदा ही घूमता है, समय की सार्थकता उसकी प्राथमिकता को शायद कोई भी नहीं पहचान सकता आप और हम भी नहीं, हर वर्ष हमें कुछ ना कुछ सीखा कर अवश्य ही जाता है, साथ लाता है बहुत सारी आशा और जोश और साथ लेकर जाता है बहुत सारी उपलब्धिया , यह वर्ष तो ” मोदी जी ” का था, जहा देखो वहा ” मोदीजी” दुनिया भर में उनकी चमक उनका नूर बरसा शायद यह भारत की धरती का गौरव ही है, की हमारे यहाँ विलक्षित प्रतिभा की कोई कमी नहीं, गंगा की सफाई , बापू का सफाई का सन्देश बढ़ चढ़ कर बोला, देश का विकास हो, इसलिए मोदीजी दुनिया भर की तकनीक देश में लाना चाहते है, देश को सक्षम बनाना चाहते है,
आज भारत की धरती का यह गौरव ही तो है की हम” देश के बिस्मार्क” सरदार पटेल को सम्मानित करने हेतु ” स्टेचू ऑफ़ यूनिटी ” बनाना चाहते है, 2014 एक अमिट छाप लेकर आया, देश में राज़नैतिक परिवर्तन , विचारधारा में परिवर्तन , 2014 ने यह सिद्ध कर दिया की भारत को अब अगर आप जात पात या धर्म के आधार पर बाटना चाहो तो यह बात हमें स्वीकार नहीं, शायद इसलिए ” पेशावर” कांड की भरस्तना हुई, हर किसी ने आगे बढ़कर इसका विरोध किया, खुद “बॉलीवुड” जगत के स्टार ” सलमान ” भी ” बिगबॉस” में इसकी “भर्तसना” करते दिखे, यहाँ तक ” भोपाल गैस” कांड भी गरमाया , यह सब शायद आज इसी बात का दियोतक है की हा . अब सोच बदलने लगी है ,” हो गयी पर्वत सी पीर , अब आग जलनी चाइये” यह पंक्तिया आज के युग में भी वही सार्थकता रखती है , जो तब रखा करती थी, और मेरा मानना है की हो कही भी ” पर देश को बदलने की चाह होनी ही चाइये ” किसी भी स्तर पर सही चाहे छोटी सी सही पर कोशिश ज़रूर करनी चाहिए, जब देश का गौरव बढ़ाने हेतु ” अरुणिमा सिन्हा ” ने एवेरेस्ट को छुया, तो लगा की आज नारी वास्तव में ” शक्ति स्वरूपा ” की मिसाल को अपने अंदर ढाल चुकी है.हमने ” मंगल” की धरती पर कदम रखा , विज्ञानं ने अपने चरम को प्राप्त किया. साल 2014 हमें बहुत कुछ देकर बहुत कुछ सिखाकर जा रहा है,
आज मुझे कबीर का दोहा याद आता है की” काल करे सो आज कर . आज करे सो अब” वास्तव में यही तो जीवन है, कभी न रुकना न कभी थकना , लेहरो की तरह आगे बढ़ना उम्मीद का दामन कभी न छोड़ना, शायद जीवन इसी का नाम है, क्योकि एक नयी उम्मीद हमेशा ही हमारा इंतज़ार करती है.” मोदीजी” का जीवन इस बात की प्रेणना है की ” क्यों नहीं हो सकता आसमा में सुराग ज़रा एक पत्थर तो तबियत से उछालो” वो ” चमत्कारी व्यक्तिव ” के धनी माने जाते है. जिन्होने वास्तव में कुछ ऐसा किया ” राजनैतिक मंच” पर जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, अब 2015 हमारा स्वागत कर रहा है, इस आशा के साथ की हम नयी ” चुनौती ” का सामना हसकर और पूरी ईमानदारी से करेग़े , क्योकि वास्तव में जो हार से ना हार कर एक ईमानदार प्रयास करता है , जीत उसकी ही होती है, सफलता बिना मेहनत कभी हाथ नहीं थामती. किस्मत , भाग्य , भगवान हम जो कहे पर हर नया सवेरा नयी उम्मीद लाता है. सूरज की किरणों की नयी चाहत , 2014 की आखिरी रात हम सबसे यह सवाल ज़रूर करेग़ी, की जीवन में सीखना कभी मत छोड़ना , 2015 की पहली किरण का स्वागत हमे पुरे जोश और जुनून से करना चाइये , जहाँ उम्मीद हो , उड़ान हो, हौसले मज़बूत हो……………….
ज़िंदगी फूलो की सेज़ नहीं होती , बिन मेहनत कोई राह आसान नहीं होती.
जीते तो है सभी इस दुनिया में , पर कुछ किये बिना मिसाल कायम नहीं होती.

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