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मन की बात

deepti saxena
deepti saxena
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अभी पिछले ही दिनों टीवी पर धर्म का फिर से आडम्बर दिखा, की हिन्दू धर्म में लोगो की फिर से वापसी हो रही है, हम उन्हें घर वापस लेकर आ रहे है, राम मंदिर पर ” अमित शाह ” का क्या कहना है? क्या बीजेपी हिन्दुवाद से ग्रसित है , बहुत तरीके के विचार परामर्श और हज़ारो की संख्या में वाद विवाद. पहली बात तो यह की भारत को संविधान में” सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन ,समाज़वादी , पंथनिरपेक्ष्, लोकतंत्रात्मक , गणराज्य ” घोषित किया गया है, राज्य की तरफ से किसी भी प्रकार का भेद भाव नहीं किया जाएग़ा , समानता हमारे मूलभूत अधिकारों में आती है तो फिर आज क्यों बार बार धर्म के नाम पर ही चर्चा होती है, बीजेपी के अच्छे दिन से मतलब ” मेह्गाई . काला धन वापस आये ,सुरक्षा बड़े , विकास हो रोजगार मिले इससे था, ना की धर्म कथा की बांसुरी बचाने से, आज देश स्वच्छ हो , हम किसी अन्य राष्ट्र से पीछे ना रहे, कश्मीर में अमन शान्ति कायम हो सके, वहा का इंसान भी वादी की खूबसूरती को आत्मा से महसूस कर सके . बॉर्डर पर सेना सुरक्षित रह सके, यह सब एहम बाते है, ना की धर्मो का ठीकरा पीटना , हर दूसरे दिन यही समाचार सुनने को मिलता है की राम मंदिर का क्या हुआ, आज का युवा संसद में बैठे तथा कथित नेताओ से यह उम्मीद तो नहीं करता , वास्तव में जो जनता के सेवक है , वो आज जनता को अपना सेवक मानते है ,
ताकत अधिकार के साथ साथ ज़िम्मेदारी भी लेकर आती है, यह बात इन बड़बोलों को कौन समझाए ? ” अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता ” यह कहावत हम सबने सुनी है , तो क्या सिर्फ और सिर्फ ” मोदी जी ” के जापान और अमेरिका जाने से सब कुछ बदल जाएग़ा , बदलेगा तो तब जब सब लोग “मीडिया” भी धर्म की कहावतो को छोड़ कोई और मुद्दा उठाये , अभी ” सफाई” अभियान का लक्ष्य ठीक से शुरू भी नहीं हुआ था, की सफाई के मुद्दे ने अपना दम तोडना शुरू कर दिया है, सिर्फ और सिर्फ कहने को ही आज जनता के मुद्दे प्रकाश में लाये जाते है, गरीब आदमी तो आज भी ” दिल्ली की ठण्ड ” में मर ही रहा है , लोग आज भी भूके पेट सोते ही है, हॉस्पिटल्स आज भी देश के ” गाव ” से बहुत दूर है, सिर्फ मेट्रो सिटी का डंका पीटने से कुछ नहीं होता, काला धन काला धन अरे कम से कम देश में भ्रष्टाचार को रोकने के कड़े उपाए तो बनाओ , और उनके लागू होने की व्यवस्था तो करो, देश का रोना आज भी वही है ” मोदी” जी, आम आदमी आज भी परेशान ही है,
अच्छे भाषण देने से ज्यादा वास्तविक रूप में कार्यो का पूरा होना अधिक आवश्यक है, ” काजल की कोठरी में जाने पर ” कितना भी बचो काजल का एक ना एक दाग तो लग ही जाता है, ठीक वैसे ही ” कुर्सी” का लोभ तो अच्छे अच्छो को ले डूबा है,. कही यह पांच साल सिर्फ और सिर्फ अच्छे दिन के बासुरी में ही ना बीत जाये, क्योकि आज भी ” छोटी ” बच्चियों के साथ बलात्कार तो होते ही है , और इन्साफ आज भी मिलता नहीं छीनना पड़ता है, आज भी ” ऑटो वाले” मन माँगा किराया वसूलते है, बेटिया आज भी असुरक्षित है,
यह हमारे लिए गर्व की बात है की ” ओबामा ” ने भी मोदी की चमक को माना, आज पूरी दुनिया ” मोदी जी ” को सलाम करती है, पर अपने तब आपके दिल से ज़ुडेंग़े जब आपकी चमक उनके घर को रोशन करे , उनकी परेशानियों को दूर करे , ” बाते नहीं रोजग़ार चाइये ” अपने ही देश में बेटियो को बेख़ौफ़ घूमने का अधिकार चाइये,
हम उम्मीद करते है की वास्तव में सही मायनो में हर एक के लिए ” अच्छे दिन” ज़रूर आयेगे .

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