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अधिकार और कर्तव्य

deepti saxena
deepti saxena
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एक इंसान जब धरती पर जन्म लेता है, तो उसके साथ ही उसे कई अधिकार प्राप्त होते है, जैसे ज़िन्दग़ी ज़ीने का अधिकार , समानता का अधिकार , स्वतंत्रता का अधिकार , और भी ना जाने कितने अधिकार प्राप्त होते है, जो देश की सीमाओ के साथ बदलते है, जैसे अमेरिका और कनाडा अपने नागरिको को ६०% बेरोज़गारी के भत्ते , सरकारी अस्पतालों में इलाज़ , बच्चो की शिक्षा , ऐसी ही बहुत सारी सुविधाये भारत सरकार भी हमे प्रदान करती है, हमारे देश का सविधान लगभग २ साल ११ महीने और १८ महीनो में बना है, हमारे पास ” मूलभूत अधिकार ” है, राज्य सरकार भी हमें कई तरह की सुविधाये प्रदान करती है, कई राज्यों में शिक्षा मुफ्त में मिलती है, मेधावी ” बच्चो” को सरकार ” इस्कोलोर्शिप” भी देती है, जिससे वो उच्च शिक्षा प्राप्त कर सके, फिर भी हमारे देश में आये दिन “जुलूस और नारे” निकलते रहते है,
मोदी सरकार को आये 6 महीने हो गए, सरकार ने देश के लिए क्या क्या किया? अच्छे दिन कब आयेगे , महगाई कब खत्म होगी???????????? काला धन कब वापस आ रहा है, देश में सुरक्षा के क्या क्या प्रावधान है? सफाई अभियान , और जापान, अमेरिका से हमें क्या मिलेग़ा? या फिर कश्मीर का मुद्दा ? सीमा पर चीन कब अपनी हरकतो से बाज़ आएग़ा, यह सब तो अखबार की सुर्ख़ियो में रोज होता ही है, न्यूज़ चैनल पर देखिये मिर्च मसाला लगी ” चटपटी खबरे ” हाज़िर है, एक समय था जब देश ” दासता की ज़ंज़ीरो में जकड़ा हुआ था” आज़ादी का कही कोई पता ना था, तब क्या भगत सिंह, राजगुरु ने देश से शिकायत की थी कि हमने एक गुलाम देश में जनम क्यों लिया ? उन्होंने अपनी परेशानियों से ज़्यादा देश को अहमियत दी, उस समय लोगो को मिटटी से प्यार था, क्या जिन लोगो ने अपनी जान की कुर्बानी दी हम उन सबके नाम जानते है, ” आप में से कितने है ” जो दांडी मार्च ” में शामिल होने वालो का नाम जानते है, वो सिर्फ और सिर्फ” बापू ” के साथ चले, अपना कर्तव्य निभाते हुए.
पर आज हम सब निशाना साधे तैयार रहते की कब अपनी उंगलिया दूसरे की तरफ करे और गलतिया पूछे ? हमने कभी नहीं सोचा ” की हम आज कितने सालो से इस देश में जी रहे है” पर क्या किया है हमने देश के लिए? कितने लोग देश से लेने का नहीं देने का ज़ज़्बा रख्ते है, बस एक बार भीड़ देखि और चल दिए यह भी नहीं सोचते की क्यों जा रहे है, कैसे जा रहे है, सही जा रहे है या फिर गलत बस जा रहे है?
आज कितने ही ग्रेजुएट्स , मैनेजमेंट और प्रोफेशनल कोर्सेज की डिग्री लेते है, पर कला की” रचनात्मकता की कोई बात नहीं करता, हम जहा चाहे वहा थूके, जहा चाहे वहा कचरा फेके , सामान खरीदते वक़्त रसीद ले चाहे ना ले, कोई गलत बात नहीं, गाड़ी में सीट बेल्ट लगाना ज़रूरी नहीं है, फिर चाहे एक्सीडेंट ही क्यों ना हो, कितने ” नौजवान ” सिगरेट और शराब की लत से बुरी तरह कही सड़क पर पड़े रहते है, तो कभी गाली गलोच करते है, देश में हर साल कितने ही ” रेप ” होते है, पर उसके लिए भी देश ज़िमेदार है, राह से भटका युवा नहीं…………………………….
अभी कोई ” बम ” फटे तो सरकार ज़िम्मेदार चाहे कितनी बार यह क्यों ना लिखा आता हो? की संधिग्द वस्तुओ की जानकारी पुलिस को दे, सड़क पर पानी बह रहा है कोई बात नहीं, बिल थोड़े ही ना भरना है, जबकि जब कोई नागरिक देश की सीमा में जब जन्म लेता है, तब उसका भी फ़र्ज़ है देश के लिए कुछ करने का…………………
अगर कोई पहल करे तो वो तो ” आउटडेटिड ” है, समय बर्बाद कर रहा है, देश हम से है, हमारा कर्तव्य है अपनी ” सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान करना, देश को छोटी छोटी सेवाओ की कितनी ज़रूरत है यह कभी कोई नहीं सोचता, आजकल ” विश्व शौच दिवस” मनाया जा रहा है, हर स्तर पर ” सफाई” के लिए कुछ ना कुछ अवश्य चल रहा है, जबकि ” सिंधु घाटी ” की सभ्यता में ” सफाई” को विशेष महत्व दिया गया है, ” गो बैक टू वेदास” की जगह लगता है आज ” गो बैक टू योर रिस्पांसिबिलिटी ” यह नारा लगाना होगा,
भारत की धरती पर ” स्वामी विवेकानंद : सरदार वलभ भाई पटेल ने जनम लिया , आप खुद ही सोचिये अगर यह लोग भी अपने हाथ खड़े कर लेते तो देश के पास इतना “गरिमामयी इतिहास ” नहीं होता …………………हेमलेट में कहा है ” की मानव ईश्वर की सबसे सुन्दर कृति है,……….. और वास्तव मैं देखा जाये तो वो इंसान ही है जो आज कल और आने वाले कल को पूरी तरह से बदल सकता है. हम सबको बचपन से हमारी ” ज़िम्मेदारियों के बारे ” में पढ़ाया जाता है, पर कितने ही जिन्हे आज तक कुछ याद है,
या कुछ करना चाहते है, ” तो फिर स्कूल जाने का क्या फायदा ? जब बड़े होकर सब कुछ भूलना ही है, ” जापान की दो लड़िकिया जो स्कूल जाती थी वो अपने देश की खातिर जहाज़ की ” चिमनी में उतर गयी थी , जिससे लाखो लोग खुश और सुरक्षित रह सके,
दान देना सबसे बड़ा धर्म है, यह हमारे ही ग्रंथो का आधार है, जो अपनी” परेशांनियो को ” अवसर ” बना लेते है, अपने अपमान को सम्मान प्राप्त करने की प्रथम सीढी वाही आगे बढ़ते है,
” रुको मात , थको मत, सिर्फ कर्तव्य का निर्वाह करो, क्यों है हमेशा आगे लेने को हाथ,
ईश्वर का वरदान हो तुम, कभी कुछ देना भी सीखो, क्योकि बोलने वाले तो गली गली में है,
पर कुछ देने वाले ” विरले दानवीर कही नहीं है …………………

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