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कलयुग का प्यार

deepti saxena
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एक समय था जब प्यार को ज़ीने की वज़ह बताया जाता था.हमारी इस दुनिया में सोनी महिवाल, हीर रान्ज़ा, लैला मज़नू की मिसाले दी जाती है, लोग अपने प्यार को पाने के लिए ना जाने कैसी कैसी “अग्नि परीक्षा ” दिया करते है , सच्चा प्यार तो दो आत्माओ का मिलनं कहा जाता है, समय के साथ सब बदल जाता है, बदलता है हमारे सोचने का तरीका, प्यार पाने का नहीं देने का नाम है, प्यार में एक इंसान हमेशा दूसरे की ख़ुशी देखता है, यह वही सब बाते है जो आज तक हम किताबो में पढ़ते आते है, पर आज इंटनेट के ज़माने में जहा वेबसाइट का जाल सा है, वहा एक प्रसिद्द विद्यवान ने कहा था” की आजकल नॉलेज का बलास्ट हो रहा है, ” आप जो चाहो वो इनफार्मेशन ले सकते हो. एक बार टीवी पर प्रसारित शो में मैंने देखा की” एक लड़की जो फेमस मॉडल है, किसी के पास उसके लिए समय नहीं होता उसकी मम्मी के पास भी नहीं , मम्मी उसे आगे बढ़ने की सलाह देती है, बेटी को लगता है की माँ को प्यार सिर्फ उसके पैसो से है, जबकि यह सच नहीं होता, इंटरनेट के ज़रिये वो लड़के से बात करना शुरू करती है, उसे लगता है यही है जो उसका सोलमेट है, वो माँ को बताती है, उसकी माँ का कहना होता है की वो लड़का उसके लायक नहीं है, क्योकि दोनों का ज़िन्दग़ी ज़ीने का तरीका बिलकुल अलग है, पर प्यार में हमे हमेशा यही लगता है, की जो हम देख रहे है वही सच है, हम जिससे प्यार करते है वो सबसे अलग है, वो कभी हमें नहीं छोडेग़ा , हमारे सारे सपने पूरे करेग़ा, पर असल ज़िन्दग़ी में ना तो कोई डायरेक्टर होता है शूट को रिटेक करने को और ना ही हमसब एंजेल्स है जो बिलकुल सफ़ेद होगे जिसमे कोई बुराई नहीं होगी, असल में हम सब ग्रे शेड में होते है, जिन पर अच्छे बुरे दोनों समय का असर पड़ता है, और हमारे ऐक्शन रिऐक्शन भी वैसे ही होते है, शायद वो लड़की समय की आहट को पढ़ ना सकी और माँ की मर्ज़ी के खिलाफ उसने शादी की, दो चार महीने तक सब कुछ अच्छा था, क्योकि लड़की के पास पैसा था, पर धीरे धीरे उसने लड़के के गुस्से उसके एहम को देखा, जो ना जॉब ढूंढ़ता सिर्फ रात रात भर पिता, और कुछ पूछने पर लड़की पर हाथ उठता , यह सब देख लड़की ने उसका घर छोड़ माँ के पास जाना सही समज़ा , पर लड़के से यह बर्दाश नहीं हुआ, उसने उसकी माँ के घर जाकर गाली गलोच की माँ ने उसे सिक्योरिटी बुलाकर बाहर फिकवा दिया, गुस्से में आकर उसने लड़की की फोटोज अपलोड कर दी, शायद यह कहानी हमें आज की सच्चाई बताती है, की भगवान ने इंसान में सबसे ऊपर दिमाग बनाया , ज़िन्दग़ी में कभी भी हमें इमोशंस में आकर फैसले नहीं लेने चाइये , देश का युवा जब देश को छोटे रूप में भी एक नयी दिशा देने की कोशिश करता है , तो देश को उस पर नाज़ होता है, पर अगर वही युवा अपनी दिशा से भटक जाये तब क्या हो ?प्यार करना गलत नहीं पर बुद्धि पर ताला लगाना गलत है, माता पिता का अनुभव हमारी ज़िन्दग़ी के लिए एक ऐसा वरदान है, जिसे हम समज़ते नहीं, आप कभी भी इंसान को किताबो से या दो चार मोबाइल के कॉल से या फिर चैटिंग से नहीं पहचान सकते., इंसान की पहचान तो अनुभव से होती है, कहते है की भेड़ चाल भेड़ो के लिए है, इंसानो के लिए नहीं, हमारे पास दो कान है और दिमाग भी , और आजकल तो जागरूकता की भी कमी नहीं, तो फिर हम बहक कैसे जाते है, हमें याद रखना होगा की आजकल ” रोड साइड ” रोमियो या फिर “एसिड ” की वारदातो की कोई कमी नहीं, हम किसी सतयुग में नहीं है, जहा बोली या वादो पर लोग जान भी दे दे , इसका यह मतलब नहीं की ज़िंदगी में हम विश्वास , या फिर प्यार जैसे शब्दों पर भरोसा ही ना करे. पर यह भी ज़रूरी है की सही और गलत के अंतर को पहचाने, रेगिस्तान में कभी कभी हमारी आखे धुप की तेज़ किरणों को पानी समज़ धोखा खा जाती है , वही धोखा हमें ज़िन्दग़ी में भी हो सकता है , अपनी समज़ पर पकड़ बनाये रखना ज़रूरी है, अपनों और गैरो में फरक करना सीखिये , कोई भी रिश्ता कितना पक्का और सच्चा है यह कभी भी एक बार में पता नहीं चलता, घर भी तभी मज़बूत खड़ा होता है जब नीव मज़बूत हो, यही बात ज़िन्दग़ी पर भी लागू होती है, है ना…………आपकी सोच क्या कहती है ??

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