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मानव और प्रकृति

deepti saxena
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परम पिता परमेश्वर ने अपनी कृपा से यह संसार बनाया, यह संसार अनेक प्रकार की विविधताओं से घिरा हुआ है, एक ओर गगनचुंभी हिमालय है तो दूसरी और धरती के गर्भ में कलरव करती असंख्य नदिया तथा महानदिया, धरती की विवधता तो देखिए कही अफ्रीका के जंगल है, तो कही है थार का मरुस्थल एक और विषुवत रेखा की गर्मी हमे निचोड़ कर रख देती है , तो दूसरी और रशिया की सर्द हवाई, अंटार्कटिका के छ महीने का दिन और रात्रि आंखो को अचरच से भर देते है, जब धरती की जलवायु में इतनी अधिक विवधता है, तो सोचिये पशु पक्षियों मैं जीव जन्तुओ में कितनी अधिक भिन्नता होगी, परमेश्वर की बनाई इस धरती पर सबका हक़ है सिर्फ इंसानो को ही नहीं जीव जन्तुओ को भी वही अधिकार है की वो भी खुली वायु में बिना किसी डर के सास ले सके, वैसे वाइल्ड लाइफ संरक्षड हेतु कई प्रोजेक्ट्स सरकार बनाती है, आप प्रशांत महासागर को ही लीजिये जिसकी विशालता में न जाने कितनी ही प्रजातियो का वास है, खुद भारत सरकार ने भी ” टाइगर प्रोजेक्ट्स” के अंतर्गत ना जाने कितने ही बाघो, तथा जंगल के अन्य जीवो को भी संरक्षड प्रदान किया है, क्योकि धरती पर प्रजातिया ना सिर्फ सौंदर्य बढ़ाने बनाने के लिए है, बल्कि उनकी आवयश्कता भी है, आज हर साल दुनिया के किसी ना किसी कोने चाहे भूटान , भारत, लंका या यूरोपीय देश हो यदि कही भी कोई “प्राकर्तिक आपदा” आती है, तो कही ना कही मानव को उसका दोषी बताया जाता है, जब ” उत्तराखंड ” को बाढ़ ने चपेट में ले लिया तब रिसर्च ने और कई टीवी चैनेलो पर भी यही बताया गया की यदि” जंगलो का कटाव इसी प्रकार होता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब इस प्रकृति का ही सर्वनाश हो जाएग़ा , आप खुद ही सोचिये की तब क्या होगा जब हिमालय पर से औषदीयो का सर्वनाश हो जाएग़ा ? कोयला या यु कहे की ऊष्मा पाने के लिए यदि हम रात दिन रासायनिक तत्वो का प्रोयोग इसी करते ही रहेग़े तो प्रकृति के वायुमंडल में ज़हरली हवाओ का संचार कैसे नहीं बढेग़ा , कई बार हम प्रजातियो का नाम रख देते है “मैन ईटर ” जैसे की बाघ को “जंगल के राजा” को बहुत खतरनाक माना जाता है, पर अगर आप उसके घर में घुस कर उसके परिवार का शिकार करेग़े, उसके शरीर के हिस्सों से आप घर की शोभा में निखार लायेग़े, जैसा की एक समय पर लोग करते भी थे शेर की खाल से सजावट तो वो फिर वो अपनी सुरक्षा के लिए शिकार क्यों ना करे? बहुत बार सुनने में आता है की लोग जंगल में घुसकर लकड़ीयों की तस्करी करते है , अपने फायदे के लिए प्रकर्ति का सर्वनाश, इस लिए इकोलॉजिकल बैलेंस के बात भी की जाती है, हमारी प्रकर्ति में एक छोटे से छोटे फंगस का कीट का कितना महत्व है यह हम नहीं जानते , ” सत्यमेव जयते” के एक एपिसोड के अनुसार जब आमिर खान के देश को साफ़ सुथरा बनाने की मुहीम पर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया तब पता चला की छोटे छोटे कीट भी वातावरण को साफ़ रखने में एहम भूमिका रख़्ते है, इंसान होने के नाते एक बुदि जीवी होने के नाते यह फ़र्ज़ है हमारा की हम यह सोचे, की यदि प्रकृति में पेड पौधो की जंगलो की या फिर भिन भिन प्रजातियो की यदि आवशकता ना होती तो प्रकर्ति इनका निर्माण क्यों करती? धरतीं पर रहने का अधिकार सबका है, चाहे फिर वो नील नदी के जीव हो या फिर महासागर में बस्ने वाली प्रजातिया , या फिर जंगलो में मस्त गुमते जीव जंतु , सबका महत्व है , प्रकृति के पास भाषा नहीं, जीव जन्तुओ के पास बोली नहीं तो किया हुआ. उनके पास अहसास तो है, अपने फायदे के लिए इस खूबसूरत प्रकर्ति या फिर इसकी प्रजातियो के साथ खिलवाड़ ना सिर्फ गलत है, बल्कि आने वाले कल की दस्तक भी, जो साधनो का सदुपयोग नहीं करते परमेश्वर के वरदान को नहीं समज़ते उन्हें इसका फल भी भुगतना पड़ता है …………………….

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